
कुंदा प्रखंड के ग्रामीण श्रमदान कर सड़क बनाते हुए
प्रशासन की अनदेखी पर ग्रामीणों ने दिखाई ताकत, श्रमदान कर तीन किलोमीटर लंबी सड़क बना डाली
कुंदा (चतरा):
जहाँ सरकारें ग्रामीण विकास के दावे करती हैं, वहीं चतरा जिले के कुंदा प्रखंड अंतर्गत बौधाडीह पंचायत के हारुल से चितवातरी गांव तक की सड़क वर्षों से बदहाल पड़ी थी। आखिरकार प्रशासनिक अनदेखी और राजनीतिक उपेक्षा से तंग आकर ग्रामीणों ने अपने दम पर सड़क बनाने का बीड़ा उठा लिया।
ग्रामीणों ने आपसी सहयोग और चंदा जुटाकर बुधवार को करीब तीन किलोमीटर लंबी कच्ची सड़क को श्रमदान से इस तरह बना डाला कि आज वह आवागमन के लायक हो चुकी है।
200 से 500 रुपए तक चंदा, फिर जेसीबी और कुदाल लेकर सड़क निर्माण में जुटे ग्रामीण
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने अपने स्तर पर 200 से 500 रुपये तक चंदा इकट्ठा किया, फिर जेसीबी मशीन की सहायता से पहाड़ काट कर और खुद कुदाल लेकर श्रमदान कर सड़क निर्माण कार्य किया। इस मार्ग से हारुल, चितवातरी और आसपास के गांवों के करीब 2000 से अधिक अनुसूचित जनजाति परिवारों का जीवन जुड़ा है।
विकास के नाम पर छलावों से थक चुके हैं ग्रामीण
स्थानीय ग्रामीण रघु गंझु ने कहा कि,
“हमारे गांव में आज तक पक्की सड़क नहीं बनी है। पानी की समस्या वर्षों से बनी हुई है। जनप्रतिनिधि चुनाव के समय आते हैं, वादे करते हैं और फिर गायब हो जाते हैं।”
इसी तरह नंदकिशोर गांझु ने कहा कि,
“सरकार और प्रशासन ने हमें विकास से वंचित कर दिया है। सड़क, स्कूल, पानी सब कुछ नाम मात्र का है। कोई सुनने वाला नहीं है, इसलिए हमें खुद ही आगे आना पड़ा।”
गांव में दो स्कूल, लेकिन सुविधाएं नदारद
चितवातरी गांव में दो सरकारी विद्यालय हैं, लेकिन सड़क न होने से विद्यार्थियों और शिक्षकों दोनों को भारी परेशानी होती थी। ग्रामीणों की मानें तो बारिश के दिनों में गांव पूरी तरह कट जाता है और बीमार को अस्पताल पहुंचाना तक संभव नहीं रहता।
प्रशासन को दिखाया आईना, अब अपेक्षा है पहल की
ग्रामीणों का कहना है कि वे प्रखंड कार्यालय से लेकर सांसद-विधायक तक गुहार लगा चुके हैं, लेकिन केवल आश्वासन ही मिला। अब जब उन्होंने खुद अपने दम पर सड़क बनाकर दिखा दिया, तो वे चाहते हैं कि सरकार और प्रशासन स्थायी समाधान की ओर पहल करे।