
प्रतापपुर पंचायत में फर्जी जन्म प्रमाण पत्र घोटाले की जांच करते अधिकारी
बभने, रामपुर और योगियारा पंचायत में 15,835 फर्जी प्रमाण पत्र जारी, विभागीय कार्रवाई का अब तक नहीं अता-पता
फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामला: दो पंचायत सचिव अब भी फरार, विभागीय कार्रवाई और गिरफ्तारी पर सवाल
प्रतापपुर (चतरा): प्रतापपुर प्रखंड के तीन पंचायत—बभने, रामपुर और योगियारा—में फर्जी जन्म प्रमाणपत्र जारी करने का गंभीर मामला अब धीरे-धीरे राज्य और राष्ट्रीय सुरक्षा तक के सवालों को जन्म दे रहा है। इस मामले में एफआईआर दर्ज हुए ढाई महीने बीत चुके हैं, फिर भी प्रमुख आरोपी पंचायत सचिव अक्षयवट चौबे और जयनंदन सिंह अब तक फरार हैं। न तो उनकी गिरफ्तारी हो सकी है और न ही किसी ठोस विभागीय कार्रवाई की सूचना सामने आई है।
क्या है पूरा मामला?
जिला प्रशासन के पोर्टल पर उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक, 1 सितंबर 2024 से 5 मई 2025 तक के बीच मात्र आठ महीनों में इन तीन पंचायतों से कुल 15,835 जन्म प्रमाणपत्र जारी किए गए, जिनमें से अधिकांश को फर्जी माना जा रहा है। इसमें बभने से 4431, रामपुर से 6357 और योगियारा से 5047 प्रमाणपत्र बनाए गए।
इस पूरे घोटाले में अमित सिन्हा नामक एक अन्य व्यक्ति को भी आरोपित किया गया है। पंचायत सचिवों का दावा है कि उनकी लॉगिन आईडी और पासवर्ड अमित सिन्हा चला रहा था, जिससे इतने सारे प्रमाणपत्र बनाए गए। यह दावा अपने आप में गंभीर प्रश्न खड़े करता है कि सरकारी आईडी किसी बाहरी व्यक्ति को कैसे और किस आधार पर सौंपी गई?
सूत्रों की मानें तो हुआ है मोटा लेन-देन
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, इस फर्जीवाड़े में आर्थिक लाभ के लिए एक पूरा लोकल चोर गिरोह सक्रिय था, जो प्रमाणपत्र के एवज में राशि वसूल रहा था। कहा जा रहा है कि फर्जी जन्म प्रमाणपत्र के आधार पर बाहरी जिलों के लोग, यहां तक कि अन्य देशों के नागरिक, दस्तावेज़ तैयार करवा रहे थे, जिससे मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ता दिखाई दे रहा है।
केंद्र सरकार से जांच की मांग
कई सामाजिक संगठनों ने मामले को लेकर एनआईए, गृह मंत्रालय और भारतीय निर्वाचन आयोग से मांग की है कि इस घोटाले की केंद्रीय एजेंसी से उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। क्योंकि फर्जी जन्म प्रमाणपत्रों के आधार पर आधार कार्ड, वोटर आईडी, पासपोर्ट, बैंक खाता जैसे सरकारी दस्तावेज भी बनाए जा सकते हैं, जो देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा है।
बीडीओ ने दी सफाई
जब इस मामले में बीडीओ अभिषेक कुमार से पूछा गया कि फरार पंचायत सचिवों पर अब तक विभागीय कार्रवाई क्यों नहीं हुई, तो उन्होंने बताया कि:
“दोनों पंचायत सचिवों पर आरोप गठित कर रिपोर्ट जिला पंचायती राज कार्यालय को भेज दी गई है। आगे की कार्रवाई वहां से होनी है।”
पुलिस का पक्ष
थाना प्रभारी कासिम अंसारी ने बताया कि,
“पुलिस जांच में जुटी है। प्रमुख अभियुक्त अमित सिन्हा की गिरफ्तारी के बाद पूरी साजिश और इसमें शामिल लोगों का नेटवर्क उजागर हो सकेगा।”
फर्जी प्रमाणपत्रों को हटाने की जल्दबाजी पर भी उठ रहे हैं सवाल
सूत्र यह भी बता रहे हैं कि जैसे ही मामला उजागर हुआ, जिला से लेकर प्रखंड स्तर तक संबंधित पोर्टल से रात-दिन लगकर 15 हजार से अधिक जन्म प्रमाणपत्र हटाने की प्रक्रिया तेज़ी से शुरू कर दी गई। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह कार्रवाई सबूत मिटाने की कोशिश तो नहीं?
नेशनल सिक्योरिटी और वोटर रजिस्ट्रेशन का गंभीर खतरा
इस मामले में यदि फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से मतदाता सूची में नाम जुड़वाया गया हो या बाहरी घुसपैठियों द्वारा नागरिकता दस्तावेज प्राप्त किए गए हों, तो यह देशद्रोह जैसा गंभीर अपराध बन जाता है। ऐसे में यह सिर्फ प्रखंड या जिले का मामला नहीं, बल्कि राष्ट्रीय चिंता का विषय है।