
चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड में पुलिस और वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता और अफीम विनाश अभियान का सकारात्मक असर देखने को मिल रहा है। करैलीबार पंचायत के मानामत गांव में ग्रामीणों ने स्वयं पहल करते हुए लगभग 3 एकड़ वन भूमि पर उग रहे अवैध पोस्ता (अफीम) की फसल को नष्ट कर दिया।

ग्रामीणों और समाज सेवियों की पहल
ग्रामीण नागेश्वर महतो, मुंशी महतो, नंदू महतो और समाज सेवायो के नेतृत्व में पोस्ते की खेती को नष्ट किया गया। महतो ने बताया कि वह पहले ग्रामीण अफीम माफियाओं के झांसे में आ गए थे। लेकिन अब उन्होंने अपनी गलती को समझते हुए इस जहरीली फसल को नष्ट कर दिया। उन्होंने यह भी कहा, “मैं प्रशासन को भरोसा दिलाता हूं कि भविष्य में इस तरह की खेती से मेरा कोई लेना-देना नहीं होगा। मेरी अपील है कि प्रशासन ऐसे माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करे जो इस फसल फसल की मादक पदार्थ को बाजारों तक पहुंचे हैं।
कहां- कहां लगा था अफीम की खेती
ग्रामीणों ने बताया कि अफीम की खेती मानामत के जंगलों में अधिकतर लगी थी। जिसमें फुलवरियागढ़ा, पिपरागढ़ा आदि जगहों में लगी फसलों को ग्रामीणों की दबाव में किसान ट्रैक्टर और हर बैल के सहारे नष्ट किया।
प्रशासन की चेतावनी
वन क्षेत्र पदाधिकारी सूर्यभूषण कुमार ने कहा कि अफीम की खेती करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। एनडीपीएस एक्ट की धारा 18 के तहत कार्रवाई होगी, जिसमें जेल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने ग्रामीणों को सलाह दी कि वे खुद ही अपनी अवैध फसल को नष्ट कर दें, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
अफीम से खतरा
अफीम न केवल एक मादक पदार्थ है, बल्कि इसका साइड इफेक्ट है, बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक है। यह समाज और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचाता है। अफीम की खेती से लूटपाट की घटनाएं क्षेत्र में देखी जाती है। वन अधिकारी ने बताया कि यह फसल जमीन की उर्वरता को भी खराब कर रही है। साथ ही आसपास के वातावरण को भी प्रदूषित करता है वंस संपत्ति को नुकसान होती है और इसका समझ में दुष्प्रभाव पड़ता है।
ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी रही
पुलिस और वन विभाग की ओर से लगातार चलाए जा रहे अभियानों से ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी है। लोग अब स्वेच्छा से अफीम की खेती को नष्ट कर रहे हैं और और भविष्य में इस तरह की दूर ही रहेंगे।
आगे की मांग
ग्रामीणों और समाज सेवियों ने प्रशासन से अपील की कि अफीम माफियाओं गिरोह के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं, ताकि इलाके में ऐसी खेती भविष्य में ना हो और पूरी तरह से रोक लग सके।