मातृ दिवस पर एक छोटा सा उदगार
मां ।।
मां, मां, मां ओ मेरी मां,
जग में सबसे सुंदर मां,
जग में सबसे अच्छी मां
जग में सबसे प्यारी मां।
मां, मां, मां मेरी मां,
मां क्या होती है?,
मां सिर्फ मां होती है ,
उपमा किसी से नहीं होती है,।
मां, मां ,मां ब्रह्मा होती है ,
मां रचयिता होती है ,
मां मेरी जन्मदातरी है
मां मेरी भाग्य विधाता है।
मां ने मुझे पेट में पाला है,
अपना रक्त मांग घाला है।
कितने सपने संजोए है
हंसा है रोया है गाया है,
कितने अरमानों को पाला है।
सुख त्याग दुखों को झेला है,
छाती से लगाया चिपकाया है,
मेरे मल मुत्रों को धोया है,।
मां, मां, मां विष्णु है,
मेरी पालन हार है ।
छाती का दूध पिलाया है,
प्रेम से अमृत घोला है।
मेरे रोने से आंसू बहाया है,
भीगे में सो सुखे में सुलाया है।
नहलाया है धुलाया है ।
कान्हा सा सजाया समारा है।
मां ,मां, मां सिर्फ मां होती है,
, मां सब इच्छा को जानती है ,
हर पीड़ा को हरती है ।
छन में पूर्ति करती है।
मां, मां, मेरी संरक्षक है ,
मां मेरी पर्यवेक्षक है ।
मां की गोदी में स्वर्ग का सुख है।
फटक नहीं पता कोई दुख है।
मां, मां मेरी गुरु है, गोविंद है,।
आनंद है परमानंद है ।
मां मेरी देवी है शक्ति है,
पूजा पाठ और भक्ति है।
मां ने हमें बोलना सिखाया
अंगुली पकड़ चलना सिखाया ।
पिता से परिचय कराया
ज्ञान दिया संस्कार सिखाया।
मां, मां मेरी आन है, बान है,
शान है भगवान है।
मां मेरी जननी है देवी है
पावन पुनीत भूमि है।
मां की बराबरी कहीं नहीं होती,
तुलना किसी से नहीं होती।
मां दुर्गा लक्ष्मी जैसी है ,
आदि शक्ति है सरस्वती है।
सीता अनसूया सावित्री है ,
मैं कहूंगा नहीं ऐसी नहीं है,
यह शक्तियां मां से बड़ी नहीं है।
मां जैसी हो सकती है ,।
मां, एक मां सब की होती है,
मां के बिना हम नहीं हो सकते,।
जी नहीं सकते, पल नहीं सकते।
फूल नहीं सकते, फल नहीं सकते,।
मां, मां है तो पिता है,
सब रिश्ता है, नाता है।
भाई-बहन बंधु है ,
धरती अंबर सिंधु है ।
मां कभी दिन नहीं हो सकती,
, कभी हीन नहीं हो सकती।
मां ,ही पारस है अमृत है,
कामधेनु और कल्पवृक्ष है।
मां की महिमा अनंत है,
जिसकी गरिमा दिकदिगंत है।
जिसका ना आदि अंत है,
चाहे देव दानव या संत है ।
हम मां के रिन से उरिन नहीं हो सकते ,
उसके दूध के धार को शोध नहीं सकते।
जिनकी मां नहीं वह टूअर है, अनाथ है।
मां है तो धन्य है, सनाथ है ।
मां का बिडा उठाओ पीड़ा मत देना ,
पत्नी के चक्कर में मां को मत खोना।।
कवि- पंचम महतो।