कलमदानी
आसाढ़ परल घरे
मइया आर बपा के
फिकिर सुरु हो जाइय हे
कोन धानेक बिहीन
करल से ठीक रहतोन ।।
इ फिकिर बिहाने- बिहाने
आरो गांवेक दादा,काका
गोतिया सभेक पूछा-पूछी
बतियाइक के ओरो डहर
खोरियेन मे मेलान पहर
भिनसरिया सभेक
फिकिर देखल जाइय हे।। खैरकाखोची ,दुधकांडर
नारधा,जोंगाधान,बाघपांजर
ललकाधान,कलमदानी
मेहराधान आर करहेनी
जे हय देहाती धान
लागो हय जेकर माड-भात
आर आलूक भेरता के सवाद
जे खइले हय सेहे जानो हय
आइज इ कहनी बन लागल हे।।
मइया-बपा के फिकिर धानेक
बिहीन बदलेक ,सतुवाबेडा
पेठावल खबैरिया से
उ गावेक से काकी
आइल हथीन, आपन घारेक से
एगो दोउरी, कलमदानी
धाने लेके आइल हथ
जे मदइत्त के संगैत हे
दुनो आपन धानेक
सुपाय फटकल बादे
अदला-बदला करला
आबे मइया आर बपा के
संगे-संगे गावेक सोभेन
लोक ऐहे करला।।
इ ऐगो पहरेक कहनी बन गेइल
काहे कि अब सितवा धानेक
पहर चलल ,फीकीरेक
संगे-संगे, सितवा धानेक
रुपे संगैइत्त एक नमबर
आर दु नमबरे ,बदैल गेल
उपज तो बढ़ल
मकीन बहुते कुछ घइट गेल।।
कवि – कृष्णा गोप