हामनिक संसकिरति
(खोरठा कविता)
हामनिक समाजे रीत चलल हइ
हिंयाक संसकिरति से जुड़ल हइ
आर अइन राइज ले फरक हइ
परनाम आर जोहार एहे बनल हइ
हामनिक माय माटी से जुड़ल हइ
हिञाक संसकिरति ले पियार हइ
मडुवाक लेटो जोंड़राक घाठा
पुआ संगे आरो अइरसापीठा
हिया नाना रकमेक सवाद हइ
हामनिक संसकिरति ले पियार हइ
घोड़ा, झुमइर, जदुर नाच
झुमटा, पाइका, नटुआ नाच
देखा आरो कतेक नाच हइ
एकरे में संसकिरतिक पहचान हइ ।
संथाली कुडुख मुंडारी हो आर खड़िया
खोरठा नागपुरी कुरमाली पंचपरगतिया
एहे त हइ झारखंडेक नउरंगीया
मिली मिसी राखिया एके संगीया
एकरे में हमनिक चिन्हाप हइ
हामनिक संसकिरति ले पियार हइ
सरना सरहुलेक पूजा करब
सोहराय आर करमाक गरब
एहे त झारखंडेक परब
जेकरा कहियो नाइ छोड़ब
एकरे में हमनिक आन-बान-सान हइ
हामनिक संसकिरतिक एहे पहचान हइ ।।
कवि – बसंत कुमार महतो