मानुसे मानुस के मारे लागल
मानुस आर मानुस नायं रहल
मानुसे, मानुस के मारे लागल
धन दौलतेंक पेछुएँ भेल एते पागल
कि आपन खुइनो के नायं चिन्हे लागल।
भाय बनल आइज भाय के दुसमन
बुढ़ा मांय-बाप बोझ लागे लागल।
आपन-पोर,हित-मितर सोब
टाकाक ओजनें तोलाय लागल।
प्रेम-पिरितेक ठांवें आब
सोना-चांदी चमके लागल।
फूल-सहिया आर गोतिया
गावँ घार ले हेराय लागल।
मांदइर बेचारा कोंका भेल
झुमइर बइस के कलपे लागल।
के लगवल ई आइग रे विनय
कि प्रेमक बगिया जरे लागल।
धुरबाजेक ई धरती सरग भेल
आब पंच परमेश्वर नायं माने लागल।
मानुसे आब मानुस के सोसन
आर अतियाचार करे लागल।
मानुस आर मानुस नायं रहल
ई जुगें
मानुसे मानुस के मारे लागल।
कवि- विनय तिवारी



