चतरा जिले के कुंदा प्रखंड के अखरा टोला में ग्रामीणों ने “मईया सम्मान योजना” को अस्वीकार करते हुए पक्की सड़क की मांग की। महिलाओं ने सरकार पर अपमान का आरोप लगाया।
अखरा के दलदल में धंसी उम्मीदें, ग्रामीणों ने कहा – “मईया सम्मान नहीं, पक्की सड़क चाहिए”
महिलाओं ने किया खुला विरोध, कहा – सम्मान के नाम पर ठग रही है सरकार
कुंदा प्रखंड अंतर्गत कुंदा पंचायत के अखरा टोला के ग्रामीणों ने सरकार द्वारा चलाई जा रही “मईया सम्मान योजना” का खुला विरोध करते हुए पक्की सड़क बनाने की मांग की है।
ग्रामीणों का कहना है कि “हमारी रोज़ की समस्या कीचड़ और दलदल से गुजरना है, ₹2500 नहीं, हमे पक्की सड़क चाहिए।”
सम्मान नहीं, ज़मीन पर हक चाहिए – महिलाओं की मांग
ग्रामीण महिलाओं ने साफ कहा कि
“सरकार हमें सम्मान के नाम पर ₹2500 देकर मुँह बंद करना चाहती है, जबकि हम कीचड़ से भरी सड़क पर फिसलकर गिरते हैं। ये सम्मान नहीं, अपमान है।”
लोगों का कहना है कि बच्चों को स्कूल जाना, बीमारों को अस्पताल ले जाना, हर काम सड़क की वजह से बाधित होता है।
आजादी के बाद भी नहीं बदली स्थिति
अखरा टोला के लोगों ने बताया कि “आजादी के बाद से लेकर आज तक टोला में कोई ठोस विकास नहीं हुआ है।
सिर्फ एक प्राथमिक विद्यालय है, जबकि इस रास्ते से पदाधिकारी तक रोज गुजरते हैं, पर किसी ने सड़क बनाने की सुध नहीं ली।
पंचायती राज के बाद भी नहीं मिला हक
तीन बार पंचायत चुनाव हो चुके हैं, लेकिन टोला के हालात ज्यों के त्यों हैं। लोगों का कहना है कि अब उम्मीद टूटने लगी है, लेकिन आवाज उठाना जरूरी है।
गांव की महिलाएं आईं नेतृत्व में आगे
इस विरोध में मनवा देवी, उषा देवी, ज्ञानती देवी, फुलमतिया देवी, करमी देवी, महंगी देवी, मुनिया देवी, एतवरिया देवी, मालती देवी सहित दर्जनों महिलाएं शामिल हुईं।
पुरुषों में विदेशी भारती, अरुण भारती, राजेश कुमार, महेशी भारती, तुलु भारती, सुकन भारती, राजकुमार सिंह, नागों भारती, नकुल सिंह, केदार यादव, छोटू साव भी शामिल थे।
📢 ग्रामीणों की मांग सीधी है – पक्की सड़क मिले ताकि उनके बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को दलदल में नहीं चलना पड़े। सम्मान की असली पहचान, ज़मीनी विकास से ही मिलती है।
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