झूठ कर दोष
आलस्य कर आंईख में
प्यार कर सपना देखह हलय
लाल साड़ी पिंइंद के
आपन सूरज कर आशा में
रोइज रहह हलय उषा
दिन जैसे जैसे
चढ़े लागलय
डइर गेलय उषा
याद आवे लागलय
आपन संगी संध्या कर बात
उ तो थईक गेलय
थईक के हाइर गेलय
एगो भोड़ा इलची
लागे लागलय
घूईर गेलय भारी मने
हामरा
उषा कर ऐसन घूईर गेल
ठीक नाय लागलय
कहीं ओकर
झूठ कर स्वाभिमान
चांद कर जईसन
आत्महत्या नाय कराय देय
आर बेचारा निर्दोष सूरज
दहेज लोभी कर नाम से
बदनाम नाय होय जाय।
कवि- मनोज कुमार कपरदार