बोनेक दरद
बोनेक दरद एइसन दरद
जे मानुस बुझे ना जाने ना
हमरा काइट के,
हमर सीना फाइड के
हमर गतर के लुगा चीर के
तोयं बनैले चौइड़ा सड़क
बिछाइले रेललाइन
हमर अंतरी से तोयं निकाले कोयला, हीरा,तांबा, सोना ,लौहा आर अभ्रक हम हली तोर घर-आंगन के धरोहर आर जिनगीक के आधार।
हमरे नामे भेलो तोर पहचान
आबे तोयं हमर जिनगीक के मज़ाक बनैले,झूठे करम आर सरहुल मनेले।
तोयं मनेवे बन महोत्सव
हम ठूठी,बांडी भेली बोने-पहारे
हमर बिनासे हे संसार के बिनास
कब तोयं जागबे मानुस,हमर दरद के बुझबे।
इहे आइस मे ही हामे खड़ा
देख के तोर बिसवास।।
कवि – कृष्णा गोप