मानुसेक सक्ति
हे मानुस! बुझ नाञ् –
तोंञ् आपन के हीन,
उठ–उठ,जाग–जाग –
आपन के तोंञ् चिन्ह|
मानुस लागे तोञ् -
काहे होवे - हेजोमारा?
नजइर गाडाय देख,निजे -
केउ नाञ् तोर पारा |तोर गातेक आइगे –
होवे पारे पहार धूरा |
तोर मगजेक धार देइख –
लाजे पराइ जितो छूरा |
तरींगन अइसन अकासे -
तोञ् पारे -- झलके,
अइसन काम करें, जइसे -
मानुसेक समाज चमके |अंगे – गाते- मने जगाव –
बोल – बुइध – भोरोसा,
तभी पूरा हवत सभे –
पुरखाक देखल -आसा |
जी- जान, तन--मन से
लगाव हियाक जोर,
आवेक दिने पूरा हतो -
सब सपुन देखल तोर।कवि – रमेश कुमार



