खोरठा कविता
हाम मासटर लागी
हाम मासटर लागी, मकिन इ मत सोच,
छउवा के सिखवे ब इठल हि
हाम डाक बनवे ब इठल हि
हाम कहाँ पढवे ब इठल हि
कतेक एसी.सी कतेक एस. टी कतेक ओ. बी.सी,
कतेक जनरल दाखिल लेला,
कतेक कर आधार बनल ऐखन तक,
कतेक कर खाता खुलल हे
मकिन हियां कागज मे उलझन हि
आपन नौकरी बचवे ब इठल हि ,
हाम कहाँ पढवे ब इठल हि
कखनो एस. एम. सी कखनो पी.टी.ए कर मीटिंग बुलवेक काम करल ही
सौ-सौ पन्ना रजिसटर भरल हि,
एकरो काम करल हि,
सारकारीक अभियान खातिर
डियूटिया निइभवे बइठल हि
कहाँ हाम पढवे बइठल हि
आदमियन के गिनती करे खातिर
घार-घार हामीन के भेजल जाहे
जबे-जबे चूनाव कर दिन आवे हे
हाम हि मतदान करवो हिये
कखनो जनगनना त कखनो मतगणना
त कखनो वोट बनने बइठल हि,
कहाँ हाम पढवे बइठल हि
रोज- रोज कतेक डाक बनवेक पडे हे,
छउवा के पढवे खातिर हामीन कर इच्छा,
मन कर मने दबावे पडे हे,
हियां सिक्छा के छोडा
हर काम के निभवे बइठल हि
कहाँ हाम पढवे बइठल हि
ऐतना करलो बाद दुनियाक लोक हमारे कमी बतवे हे,
बेस नम्बर नाइय अइले हमारे दोसी ठहरवे हे,
बहिरा हत हियांक लोक
हाम केकरा सुनवे बइठल हि
कहाँ हाम पढवे ब इठल हि
कहाँ हाम पढवे बइठल हि
कवि – सुमन कुमार “किट्टु”



