ई बछर के बिहा-सादी में
ई बछर के बिहा-सादी में
करलूं मउजे-मोज।
जंदे से नेवता आल रहो हेल
होंदे होय जा हलों सोझ!
जलपान,कलवा आर बियारी
बेस-बेकार खाय मिलो हेल तरकारी
खस्सी,पठरू आर मुरगिक झोर
जे खाय के हो हिंछा तोर।
मांदर अखरें बाजे लागल हो
घोड़नाच देखावो हो जलवा।
डीजे के धुन में नाचो हो
जनी,मरद आर फुलवा!
एको तनि आब नाञ हवो हो
आपन मेहरारू से द्वंद।
ओहो संगे बइस के खा हो
नेगपुरी दइ कें छंद!
कहउ अइसने बारो महीना
होतलो बिहा-सादी।
रिंधे-बांटे छुइट जितलइ
हमरो मिलतल आज़ादी।
एको दिन नाञ रिंधे होतलइ
जलपान,कलवा आर बियारी।
दाँत पजाय के राखल रहतलइ
अइसने रहतलइ तइयारी!
🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣🤣
✍पुनीत साव