नुनू जितइ ससुराइर
दारी-खोंखरी करे गेल हे,
हमर नुनू नउवाक घर।
नहाय-धोय के अइत इ ताब,
खाय-पीय के जितइ संपइर!
नावा-नावा कपड़ा पिंधतइ
आर कसतइ चमोटी!
केंस चिरतइ ककरी सें आर
सोलह पाइर के धोती!
हाथें घड़ी,मोबाइल राखतइ
आर आंखीं चसमा!
गोड़ें पिंधतइ चमरखानी जूता
हीरो से देखइतइ कम नाञ!
हामें पकाय-चोकाय देबइ,
घटरा,ढुसका आर बररा!
आर पकइबइ फुलोरी अडिसा
ससुराइर जितइ नुनू सररा!
संदेस देतइ सास-ससुर के,
आर लागतइ दुइयोक गोड़।
लेलें अइतइ संगे बहू के,
बहू कहतइ काज तोहें दे छोइड़!
कवि- पुनीत साव