हिंदी विभाग विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग में विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्ण कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में दो सत्रों में तुलसीदास एवं प्रेमचंद जयंती मनाई गई। विभागीय प्राध्यापक डॉक्टर राजू राम ने तुलसीदास और प्रेमचंद जी के सरल जीवन और उनकी भाषा शैली से सीख लेने की बात की ,डॉक्टर सुनील कुमार दुबे ने कहा कि प्रेमचंद के साहित्य को सीमित करने की कोशिश की गई है, उनका क्षेत्र अत्यधिक व्यापक है। डॉक्टर सुबोध सिंह शिवगीत ने कहा कि तुलसी दास और प्रेमचंद की रचनाओं के माध्यम से भारतीय ज्ञान परंपरा में मौजूद गुणों को देखना चाहिए । अतिथि स्वरूप आए जय नारायण मेहता ने ‘ठाकुर का कुआं’ कहानी का उदाहरण दिया और उनसे सीख लेने की बात की। अध्यक्षीय संभाषण में डॉक्टर के.के. गुप्ता ने साहित्यकार को समग्रता से समझने के लिए उनकी रचनाओं को पढ़ने पर जोर दिया साथ ही सभी शोधार्थियों का ज्ञानवर्धन किया । विषय प्रवेश करते हुए पहले सत्र में शोधार्थी प्रियंका कुमारी ने तुलसीदास के साहित्यक जीवन पे प्रकाश डाला एवं दूसरे सत्र में शोधार्थी सोनी कुमारी ने प्रेमचंद के साहित्यक जीवन की महत्ता को बताया । मुख्य वक्ता के रूप में पहले सत्र में शोधार्थी अंजली कुमारी ने तुलसीदास जी के संपूर्ण रचनाओं से परिचय करवाया तो दूसरे सत्र में दीपिका कुमारी ने प्रेमचंद की रचनाओं को कविता स्वरूप ढाल के प्रस्तुत किया एवं शोधार्थी श्वेता कुमारी ने तुलसीदास के स्वर्ण युग का चित्रण कर वाहवाही लूटी। इसी प्रकार विभाग के शोधार्थी रंजन कुमार , सुजाता कुमारी , सर्वजीत कुमार, राधासागर महथा, दयानंद कुंवर, अनुपम कुमार, अमित कुमार , सोनी कुमारी, मुकेश राम प्रजापति एवं बीरबल कुमार ने भी अपने विचार वक्तव्यों के साथ रखें। स्वागत वक्तव्य अमित कुमार एवं प्रियंका कुमारी ने किया, धन्यवाद ज्ञापन दयानंद कुंवर एवं सुनील कुमार ,मंच संचालन शोधार्थी अनुपम कुमार, अमित कुमार, प्रियंका कुमारी और हीरामुनि नाग के द्वारा किया गया। विभागीय प्राध्यापकों के साथ-साथ अतिथि स्वरूप जयनारायण मेहता ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की गरिमा को बढ़ाया। संगोष्ठी से हिंदी विभाग के सभी शोधार्थी लाभान्वित हुए। राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया गया।