दबंगों की मनमानी से पीड़िता को मिला बहिष्कार, न्याय नहीं मिला तो आत्मदाह की चेतावनी
पीड़ित महिला ने लगाया हुका-पानी बंद कराने का आरोप, कहा— अब जीना दूभर हो गया है
पत्थलगड्डा (चतरा)
थाना क्षेत्र के पत्थलगड्डा गांव की रहने वाली राधिका देवी, पति रंजीत मिस्त्री, इन दिनों गांव के सामाजिक बहिष्कार और दबंगों की प्रताड़ना से त्रस्त है। महिला ने आरोप लगाया है कि गांव के ही कुछ लोगों ने उसका हुका-पानी बंद करवा दिया है, जिससे उसका परिवार भूखा और बीमार हाल में जीने को मजबूर है।
पीड़िता ने दी आत्मदाह की चेतावनी
राधिका देवी ने भावुक होते हुए कहा कि “अगर जल्द न्याय नहीं मिला, तो मुझे और मेरे परिवार को आत्मदाह करना पड़ेगा।” उनका कहना है कि प्रधानमंत्री आवास में चल रहे निर्माण कार्य को भी स्थानीय दबंगों ने रुकवा दिया है, यहां तक कि मजदूरों और मिस्त्रियों को धमकाकर भगा दिया गया है।
किस-किस पर लगाया आरोप
महिला ने राजेंद्र प्रसाद उर्फ राजू डॉक्टर (पूर्व मुखिया), रुद्रनाथ दांगी, और विनय दांगी पर आरोप लगाया है कि ये लोग गांव के दुकानदारों को खाद्य सामग्री और दवाएं न देने का दबाव बना रहे हैं।
पीड़िता का बच्चा चेचक से पीड़ित है और इलाज के लिए ज़रूरी सामान तक नहीं मिल सका, जिससे परिवार भूखा-प्यासा और पीड़ा में रातें गुजार रहा है।
आरोपियों का पक्ष और बयान
- राजू डॉक्टर ने कहा कि “पूरे गांव ने बहिष्कार किया है, इसमें हमारी क्या भूमिका?”
- विनय दांगी बोले कि “हमने कुछ नहीं किया, हम पर गलत आरोप हैं।”
- रुद्रनाथ दांगी का कहना है, “हम कोई हिटलर नहीं हैं, ऐसा काम क्यों करेंगे?”
जनप्रतिनिधियों और समाजसेवियों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर सांसद प्रतिनिधि आशीष कुमार दांगी ने कहा कि “अगर ये आरोप सही हैं तो यह क़ानून और समाज दोनों के खिलाफ है। हम खुद मामले को सांसद महोदय तक पहुँचाएंगे और जांच की मांग करेंगे।”
वहीं सिंघानी पंचायत की मुखिया राधिका देवी ने कहा कि “जो कुछ भी हो रहा है, वह गलत है। पीड़िता के साथ हम जनप्रतिनिधि खड़े हैं। आत्मदाह की कोई जरूरत नहीं है, हम न्याय दिलाएंगे।”
📢 प्रशासनिक अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है, लेकिन ग्रामीण महिला को अब भी न्याय की प्रतीक्षा है। सवाल यह है कि क्या गांव में आज भी सामाजिक बहिष्कार जैसे हथियार का इस्तेमाल कानून से ऊपर है?
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