October 19, 2025

कविता

चल नुनु पढ़ेल चल नुनु पढ़ेल इसकुलवाचइल रहल हइनाम लिखाय अभियनवापढ़े – लिखेक समय होचल नुनु पढ़ेल...
स्कीम के जमाना एगो मेहरारू पेट दरदें भेली बेहाल,ओकरा लइके अइला सरकारी अस्पताल।ओकर हालइत देइखके डागटर साहेब...
भरसटाचार माये-बापे पढाइ-लिखाइ के,तोरा आँफिसर बनाइ देलो ।आइझ देइख के लागो हइ कि,सोबले बोडो गुनहा करलो ।...
“हामर भाषा, हामर संस्कृति” जनम, मरन तक, संग लइके चलब,विदेशी रंगे गरब नी करब,आपन भाखा, संस्कृति बोले...
आज कोयडीं सबजी खाली तो एकर गुन इयाद पड़े लागल… महुआ तोर गुन कैसन महुआ रे महूआतोर...
भेल हो बिहान सुना हो सुना होकोन दिगे पाराइल हाकजागा हो भेल हो बिहानआइलो नावा बिहानसमझा बुझा...
पछतावा जुवान घरी हिंदे हुंदेबड़ी सवंय के बरबाद करलोदेख बुढारी मने लागे खोंच होछउवा घरी बुझे नाय...
जागा रे झारखण्डी जागा रे झारखण्डी भाइ- बहीन अबरी जागा,कते दिन सुतल रहबे आपन हक खातिर भागा...