चतरा जिले के हंटरगंज प्रखंड में पुलिस और वन विभाग की ओर से चलाए जा रहे जागरूकता और अफीम विनाश अभियान का सकारात्मक असर देखने को मिला है। करैलीबार पंचायत के कोल्हुआ गांव में ग्रामीणों ने स्वयं पहल करते हुए लगभग 2 एकड़ वन भूमि पर उगाई गई अवैध पोस्ता (अफीम) की फसल को नष्ट कर दिया।
ग्रामीणों की पहल
ग्रामीण कलेश्वर यादव के नेतृत्व में इस कार्य को अंजाम दिया गया। यादव ने बताया कि वह पहले अफीम माफियाओं के झांसे में आ गए थे और उनके दबाव में खेती की गई। लेकिन अब उन्होंने अपनी गलती को समझते हुए इस जहरीली फसल को नष्ट कर दिया। उन्होंने यह भी कहा, “मैं प्रशासन को भरोसा दिलाता हूं कि भविष्य में इस तरह की खेती से मेरा कोई लेना-देना नहीं होगा। मेरी अपील है कि प्रशासन ऐसे माफियाओं पर सख्त कार्रवाई करे जो इस फसल को बाजार तक पहुंचाने का काम करते हैं।
प्रशासन की चेतावनी
प्रक्षेत्र वन पदाधिकारी सूर्यभूषण कुमार ने कहा कि अफीम की खेती करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा। एनडीपीएस एक्ट की धारा 18 के तहत कार्रवाई होगी, जिसमें जेल की सजा का प्रावधान है। उन्होंने ग्रामीणों को सलाह दी कि वे खुद ही अपनी अवैध फसल को नष्ट कर दें, अन्यथा उनके खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
अफीम का खतरा
अफीम न केवल एक मादक पदार्थ है, बल्कि इसका उपयोग बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। यह समाज और पर्यावरण दोनों को नुकसान पहुंचाता है। वन अधिकारी ने बताया कि यह फसल जंगलों की उर्वरता को भी खराब कर रही है।
ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी
पुलिस और वन विभाग की ओर से लगातार चलाए जा रहे अभियानों से ग्रामीणों में जागरूकता बढ़ी है। लोग अब स्वेच्छा से अफीम की खेती को नष्ट कर रहे हैं और माफियाओं के बहकावे से बाहर आ रहे हैं।
आगे की मांग
ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की कि अफीम माफियाओं के खिलाफ कठोर कदम उठाए जाएं, ताकि इलाके में ऐसी गतिविधियों पर पूरी तरह रोक लग सके।
समाज के लिए संदेश:
यदि आपके क्षेत्र में ऐसी अवैध गतिविधियां हो रही हैं, तो तुरंत प्रशासन को सूचित करें। समाज को नशे और माफियाओं के चंगुल से बचाने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करना होगा।
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