बोकारो का ऐतिहासिक मृगखोह: रामायण से जुड़ा एक पौराणिक स्थल
झारखंड के बोकारो जिले के कसमार प्रखंड में स्थित मृगखोह धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के कारण तेजी से एक प्रमुख पर्यटक स्थल के रूप में उभर रहा है। यह स्थल डूमरकुदर गांव के निकट हिसीम पहाड़ी श्रृंखला में स्थित है और इसे रामायण काल से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि भगवान राम अपने वनवास काल में माता सीता और भाई लक्ष्मण के साथ इस स्थान पर कुछ समय के लिए ठहरे थे। कसमार प्रखंड मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर स्थित यह स्थान न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा है, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के लिए भी प्रसिद्ध है।
धार्मिक महत्व
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान राम ने माता जानकी की इच्छा को पूरा करने के लिए स्वर्णमृग का पीछा किया था। इसी क्रम में वे डूमरकुदर क्षेत्र तक पहुंचे। कहा जाता है कि जब स्वर्णमृग एक गुफा में प्रवेश कर गया, तो भगवान राम ने उस पर तीर चलाया। जिस स्थान पर वह तीर लगा, वहां से दूध की धारा बहने लगी। किंवदंती के अनुसार, यह दूध की धारा कई वर्षों तक प्रवाहित होती रही, लेकिन एक चरवाहे की गलती के कारण दूध की जगह पानी बहने लगा, जो आज भी जारी है।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहर
डूमरकुदर पहाड़ी पर भगवान राम के दो कथित पदचिह्न भी देखने को मिलते हैं। इनमें से एक पदचिह्न पर पहले ही एक मंदिर का निर्माण हो चुका है, जबकि दूसरे पदचिह्न पर भी मंदिर का निर्माण कार्य जारी है। इन पदचिह्नों को देखने के लिए भक्तों और पर्यटकों की भीड़ उमड़ती है।
प्राकृतिक सौंदर्य
मृगखोह केवल धार्मिक दृष्टि से ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि इसका प्राकृतिक सौंदर्य भी लोगों को आकर्षित करता है। यहाँ पर पहाड़, जंगल और झरनों का मनोरम दृश्य देखने को मिलता है। खोह के पास से एक नदी भी बहती है, जो इस स्थल की खूबसूरती में चार चांद लगाती है। जंगलों और पहाड़ियों के बीच स्थित यह स्थान भक्तों और प्रकृति प्रेमियों दोनों के लिए एक आदर्श गंतव्य है।
टुसू मेला: सांस्कृतिक महत्त्व
मृगखोह हर साल 15 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर विशाल टुसू मेले की मेजबानी करता है। इस मेले में हजारों की संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक शामिल होते हैं। टुसू मेला झारखंड की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है और इसे बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है।
बोकारो का मृगखोह धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यह न केवल भगवान राम से जुड़ी किंवदंतियों को जीवंत करता है, बल्कि अपने प्राकृतिक सौंदर्य से भी पर्यटकों को आकर्षित करता है। यदि आप धार्मिक और प्राकृतिक पर्यटन के प्रेमी हैं, तो यह स्थान आपके लिए एक आदर्श गंतव्य हो सकता है।
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