इंसानियत और करुणा की कहानी : बेबहार

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रांची : अइसने खाली गोड़ फाटल सट पेलटुन एगो छउवा आगु आइ के एखो डहर चलवइया के कहल – साहेब दु चाइर गो फोकना कीन ले न । 

चलवइया कहल – नाइ बाबु , हमरा एकर जउरत नेखइ।  छउवांञ फेर कहल- साहेब लइ ले न बेसी दाम नाइ एक टाका करे त हइ।  आर ओकर थोथना के देखे लागल । तनि देरिक बादे फेर कहल – आछा आठ आनाक लइ ले । कोन्हो रकम ओकर ले पाछु छुड़ेक खातिर एक टाकाक लइ लेल मनतुक जेबुले देखल त खुचरा पइसा नाइ हल तखन घुराइ देल आर कहल काइल तोर से जरूर लेब, काहे की हामर ठांवे खुचरा पइसा नेखइ । तनि नरम भावे  छउवा फेर कहल – साहेब आइझे लइ ले न हाम,  पइसा खुचरा कइर के आइन दे हियोन । 

छउवाक जिद्द माइन के ऊ एगो फोकना लइ के हांथे दस टाका दराइ देल आर साहेब हुंवे ड़डाइ के ओकर आस देखे लागल । तनि देरिक बादे छउवा आर नाइ आइल । तखन ऊ मने मने सोचल आर ऊ नाइ आइत एहे सोंइच के घर चइल गेल । 

आगुक दिन बिहाने बिहान ओकर नउकर खबर देल की एगो छउवा आइल हे तोहर से मिले खातिर । ऊ सब बड़ी पियार से ओकरा भीतर  हकवलय । देखइत ऊ बुइझ गेल की ऊ ऊहे फोकना वालाक भाइ हेतय । ओकरा मोहड़ा में सुखाइल हल मेंतुक चमक दमक रहबे करय । 

तनि देरिक चुप रहल बादे ऊ छउवा कहल – की तोहिने हामर भाइ से फोकना किनल हला साहेब ? 

हां किनल त हलिये । 

ले ई नउ गो टाका । ऊ आपने त नाइ आवे पारल । ऊ आवेक सवंय एखो गाड़ी से टकराय गेल हल । जेकर से ओकरा पइसा आर फोकना कंदे छितराय गेल । आर त ओकर दुइयो गोडेक हाड़ टुइट गेल हइ।  ओकर हालत ढेइर खराब हे । डाॅक्टर कर कहेक हे की ऊ आर नाइ बाचत । ऊ कोन्हो रकम ई पइसा के तोहिन तक भेजवल हथ । ई कहइत कहइत छउवाक आंइखे पानी टिपके लागल । ई भाभ आर दरद देइख के साहेबेक हिया पिघइल गेल आर तुरते ओकर संगे बेहोंस भेल छउवा के देखे चइल देल । 

आइके देखे हे एगो बिना माय बापेक बेटा एगो मातालेक कुंबा में सुतल हे । ऊ देइख के चिन लेल आर सुतले सुतल कहे लागल – साहेब हामे पइसा के खुचरा कइर लेल हलिये मेंतुक आवइते एगो गाड़ी खुभे जोर से टकरालिये आर हाम गिर गेलिये आर हामर दुइयो टेंग टुइट गेल । एतना कहयते ऊ दरदे कुंहरोइत आपन छोटो भाइ के कहल – हामर मरन त पास आइ गेल हो , आब तोंय ककर भरोसे जीयबें ? ई कहयते ऊ कांदे लागल आर छोट भाइ के आपन हियांय लागाइ लेल । दुइयो छउवा कांदे लागला । 

ऊ साहेब बेहोंस हेल छउवाक हांथ धरल आर कहल – बेटा तोंय फिकिर नाय कर , हाम तोर भायेक देखा सुना करब । छउवा चितपतांक सुतल हे, साहेबेक बात सुइन आभारेक पानी टिपको हल  । हिया त ढ़ेइर कहेक कर हलय मेंतुक ओकर गात संग नाइ दे हल आर ऊहे सवंय आपन आंइख मुंइद लेल आर ई दुनिया ले विदा लय लेल । साहेब ओकर सर सरमजाम कइर के आपन संगे ऊ छउवा के  घर लेल अइला । साहेब कर एगो बेटा जे बिदेसे रह हल । आरो संगे ओकर नउकर चाकर ।

संदीप कुमार महतो,खोरठा शोधार्थी

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